JEE Mains: जेईई मेन में कम नंबर आने पर क्या करें? तैयार रखें प्लान बी, इसी साल बीटेक में मिल जाएगा एडमिशन
JEE Mains Result: एनटीए ने जेईई सेशन 2 रिजल्ट जारी कर दिया है. जेईई मेन 1 और 2 परीक्षा में शामिल हुए स्टूडेंट्स को अंदाजा लग गया है कि अब वे जेईई एडवांस्ड दे पाएंगे या नहीं. आईआईटी में एडमिशन के लिए जेईई एडवांस…और पढ़ें

JEE Mains Result: हर साल की तरह इस बार भी लाखों स्टूडेंट्स ने जेईई परीक्षा दी थी. जेईई मेन सेशन 1 और सेशन 2 में सफल होने वाले टॉप ढाई लाख स्टूडेंट्स 18 मई 2025 को जेईई एडवांस्ड परीक्षा देंगे. जेईई मेन में कम मार्क्स हासिल करने वाले स्टूडेंट्स को अन्य विकल्पों पर फोकस करना शुरू कर देना चाहिए. आप चाहें तो एक साल का ड्रॉप ईयर लेकर 2026 में फिर से जेईई मेन परीक्षा दे सकते हैं. हालांकि ऐसा तभी करें, जब आप अपनी तैयारी को लेकर श्योर हों.
जेईई मेन्स 2025 के सेशन-1 (जनवरी 2025) और सेशन-2 (अप्रैल 2025) में कम नंबर आने पर परेशान होना स्वाभाविक है. लेकिन यह आपके करियर का अंत नहीं है. आपके पास कई वैकल्पिक रास्ते और अवसर उपलब्ध हैं, जिनसे आप आगे बढ़ सकते हैं. इस असफलता को खुद पर हावी न होने दें और अगले पड़ाव की तैयारी में जुट जाइए. खुद को किसी रेस का हिस्सा समझकर मेंटली परेशान होने के बजाय बाउंस बैक करके अपनी सक्सेस स्टोरी खुद लिखिए.
आप कहां स्टैंड करते हैं?
जेईई मेन में कम नंबर आने पर अपनी स्थिति को समझना जरूरी है. इसके लिए आप नीचे लिखी चीजों का आकलन कर सकते हैं:
1- चेक करें स्कोर और पर्सेंटाइल: दोनों सेशन (सेशन-1 और सेशन-2) में हासिल किए गए अपने स्कोर, पर्सेंटाइल और ऑल इंडिया रैंक (AIR) देखें. जेईई मेन्स में आपकी फाइनल रैंक दोनों सेशन में से बेहतर वाले पर्सेंटाइल के आधार पर तय होती है.
उदाहरण: अगर सेशन-1 में 80 पर्सेंटाइल और सेशन-2 में 85 पर्सेंटाइल है तो 85 पर्सेंटाइल पर विचार किया जाएगा.
2- कट-ऑफ की तुलना: जेईई मेन्स 2025 कटऑफ चेक करें. सामान्य श्रेणी के लिए कटऑफ आमतौर पर 85-90 पर्सेंटाइल होती है, जबकि OBC/SC/ST के लिए कम होती है. अगर आपका पर्सेंटाइल कटऑफ के करीब (80-85) है तो जेईई एडवांस्ड या NITs/IIITs के लिए ट्राई कर सकते हैं. अगर 50 पर्सेंटाइल से नीचे है तो ऑल्टरनेटिव ऑप्शंस पर फोकस करें.
3- रैंक और कॉलेज की संभावना: अपनी रैंक के आधार पर JoSAA काउंसलिंग में उपलब्ध कॉलेजों और ब्रांच की संभावना चेक करें. उदाहरण:
10,000-30,000 रैंक: टॉप NITs (जैसे NIT Trichy, Surathkal) में अच्छी ब्रांच.
30,000-1 लाख रैंक: कम रैंक वाली NITs, IIITs या GFTIs.
1 लाख से ज्यादा रैंक: निजी कॉलेज या अन्य विकल्प.
4- कम नंबर का मतलब: कम नंबर का मतलब हर किसी के लिए अलग हो सकता है. अगर आपका लक्ष्य IIT में एडमिशन हासिल करना था और रैंक 50,000 आई, तो यह ‘कम’ है. लेकिन अगर लक्ष्य किसी अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला था तो यह रैंक भी काम कर सकती है.
टिप: NTA की वेबसाइट jeemain.nta.nic.in पर रिजल्ट और कटऑफ की तुलना करें.
सेल्फ एनालिसिस से बनाएं प्लान
जेईई मेन परीक्षा में कम नंबर के कारणों को समझकर फ्यूचर के लिए बेहतर स्ट्रैटेजी बनाएं:
1- रिजल्ट एनालिसिस: जेईई मेन सेशन 1 और सेशन 2 के मॉक टेस्ट या आंसर की का विश्लेषण करें. कैलकुलेशन में गलतियां हुईं, कॉन्सेप्ट की समझ नहीं थी या टाइम मैनेजमेंट की समस्या थी? इन कारकों को समझें.
2- एग्जाम स्ट्रैटेजी: क्या आपने आसान प्रश्न छोड़े थे? क्या जल्दबाजी में गलतियां कीं? क्या निगेटिव मार्किंग से स्कोर कम हुए?
3- बाहरी कारक: क्या तनाव, नींद की कमी या स्वास्थ्य समस्याओं से रिजल्ट पर असर पड़ा? क्या कोचिंग/सेल्फ-स्टडी में कमी रही?
4- तुलना: जेईई मेन सेशन 1 और सेशन 2 स्कोर की तुलना करें. अगर सेशन 2 में सुधार हुआ है तो यह आपकी मेहनत का संकेत है. अगर नहीं तो स्ट्रैटेजी बदलने पर फोकस करें.
टिप: एक नोटबुक में लिखें कि किन टॉपिक्स या क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है. फिर उनकी प्रैक्टिस करें.
ऑप्शंस पर बढ़ाएं फोकस
जेईई मेन 2025 के दोनों सेशन में कम नंबर आने पर भी आपके पास कई ऑप्शन हैं. अपनी रुचि, स्कोर, और लॉन्ग टर्म गोल्स के आधार पर सही फैसला लें:
A. जेईई एडवांस्ड की तैयारी (अगर क्वॉलिफाई करते हैं)
अगर आपने जेईई मेन कट-ऑफ (टॉप 2.5 लाख रैंक, लगभग 85-90 पर्सेंटाइल सामान्य श्रेणी के लिए) पार कर ली है तो जेईई एडवांस्ड 2025 की तैयारी में जुट जाएं. इसके लिए इन बातों का ख्याल रखें:
1- कॉन्सेप्ट्स मजबूत करें: जेईई एडवांस्ड में गहरे और जटिल सवाल पूछे जाते हैं. NCERT (केमिस्ट्री के लिए) और स्टैंडर्ड किताबें (जैसे HC Verma, RD Sharma) पढ़ें.
2- पिछले पेपर्स: पिछले 5-10 सालों के जेईई एडवांस्ड पेपर्स सॉल्व करें.
3- जेईई मॉक टेस्ट: विभिन्न कोचिंग्स के मॉक टेस्ट अपटेंप्ट करें. टाइम मैनेजमेंट पर ध्यान देंय
4- कमजोर टॉपिक्स: जिन विषयों में कम नंबर थे, उन पर रोजाना 2-3 घंटे इनवेस्ट करें.
ध्यान दें: जेईई मेन रिजल्ट एडवांस्ड में मायने नहीं रखता है.
B. NITs, IIITs और GFTIs के लिए JoSAA काउंसलिंग
अगर आपकी रैंक 10,000-2 लाख के बीच है तो NITs, IIITs या GFTIs (Government-Funded Technical Institutes) में एडमिशन ले सकते हैं.
1- JoSAA काउंसलिंग: जून-जुलाई 2025 में JoSAA काउंसलिंग के लिए रजिस्टर करें (josaa.nic.in).
कॉलेज और ब्रांच चुनें: अपनी रैंक के आधार पर विकल्प भरें. उदाहरण:
10,000-30,000 रैंक: NIT Trichy, NIT Surathkal, NIT Warangal (CSE, ECE जैसे ब्रांच).
30,000-80,000 रैंक: NIT Jalandhar, NIT Bhopal, IIIT Gwalior (मेकैनिकल, सिविल जैसी ब्रांच).
80,000-2 लाख रैंक: कम रैंक वाली NITs (जैसे NIT Mizoram) या GFTIs (जैसे BIT Mesra) में कम डिमांड वाले ब्रांच.
2- CSAB काउंसलिंग: अगर JoSAA में सीट न मिले तो CSAB (Central Seat Allocation Board) काउंसलिंग में हिस्सा लें.
टिप: अपनी रुचि (जैसे CSE, ECE) और कॉलेज की प्रतिष्ठा को प्राथमिकता दें.
फायदा: NITs/IIITs से इंजीनियरिंग डिग्री भी अच्छी नौकरी और करियर अवसर देती है.
C. स्टेट-लेवल इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाएं
जेईई मेन में रैंक कम है तो अपने राज्य की इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा दें. ये कम प्रतिस्पर्धी होती हैं.
विकल्प:
उत्तर प्रदेश: AKTU (Dr. APJ Abdul Kalam Technical University) में UPCET या जेईई मेन्स स्कोर के आधार पर काउंसलिंग.
महाराष्ट्र: MHT-CET
कर्नाटक: KCET
पश्चिम बंगाल: WBJEE
आंध्र प्रदेश/तेलंगाना: AP EAMCET/TS EAMCET
स्ट्रैटेजी:
इन परीक्षाओं का सिलेबस जेईई मेन्स से मिलता-जुलता है, लेकिन आसान होता है.
पिछले कुछ सालों के पेपर हल करें और मॉक टेस्ट्स दें.
लाभ: राज्य के सरकारी और निजी कॉलेजों में दाखिला मिल सकता है, जैसे UP में IET Lucknow या महाराष्ट्र में COEP Pune.
D. निजी इंजीनियरिंग कॉलेज
अगर रैंक 2 लाख से ज्यादा है तो निजी कॉलेजों में एडमिशन ले सकते हैं, जो जेईई मेन्स स्कोर या अपनी प्रवेश परीक्षा के आधार पर सीट देते हैं।
टॉप प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज:
- वीआईटी वेल्लोर (VITEEE)
- एसआरएम चेन्नई (SRMJEEE)
- मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MET)
- बिट्स पिलानी (BITSAT, अगर पहले से दिया हो)
- एमिटी यूनिवर्सिटी
- थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग
E. वैकल्पिक करियर विकल्प
अगर इंजीनियरिंग में रुचि कम है या स्कोर बहुत कम है तो अन्य क्षेत्रों पर फोकस करें:
साइंस/टेक्नोलॉजी:
- बीएससी (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ)
- बीसीए या बीटेक (आईटी) निजी कॉलेजों से.
- डेटा साइंस, एआई या साइबरसिक्योरिटी में डिप्लोमा/सर्टिफिकेशन.
अन्य क्षेत्र:
- बीबीए/बीएमएस (मैनेजमेंट) डीयू, NMIMS या Symbiosis से.
- बीए (इकोनॉमिक्स, साइकोलॉजी) टॉप यूनिवर्सिटीज़ से.
- लॉ (CLAT के जरिए NLUs में दाखिला).
- डिजाइन (एनआईडी, NIFT के लिए UCEED/CEED).
F. ड्रॉप ईयर (रिपीट करना)
अगर आपका लक्ष्य सिर्फ IITs/NITs में एडमिशन लेना है और आप अगले साल जेईई मेन में बेहतर स्कोर के लिए मेहनत करने को तैयार हैं तो एक साल का ड्रॉप ले सकते हैं. इसके लिए इन टिप्स पर फोकस बढ़ाएं.
1- सेल्फ एनालिसिस
2- कोचिंग/सेल्फ-स्टडी
3- शेड्यूल से करें पढ़ाई
4- हेल्थ का रखें ध्यान
5- हर टॉपिक पर करें फोकस
G. स्किल-बेस्ड कोर्सेज और स्टार्टअप
अगर आप पढ़ाई के साथ प्रैक्टिकल स्किल्स सीखना चाहते हैं तो ऑनलाइन/ऑफलाइन कोर्सेज करें:
1- कोर्सेज: कोडिंग (पायथन, जावा), वेब डेवलपमेंट, मशीन लर्निंग, ग्राफिक डिजाइन.
2- प्लेटफॉर्म्स: Coursera, Udemy, Codecademy, Google Certifications.
फायदा: 6-12 महीनों में स्किल्स सीखकर फ्रीलांसिंग या स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं.
मेंटल हेल्थ का भी रखें ध्यान
कम नंबर का मतलब असफलता नहीं है. अगर आप रिजल्ट को लेकर ज्यादा परेशान हैं तो परिवार/दोस्तों से बात करें. अपनी चिंताएं उनसे शेयर करें. अपने मेंटर्स/शिक्षकों से सलाह लें. पॉजिटिव रहें और नई शुरुआत छोटे गोल्स के साथ बनाएं. योग, मेडिटेशन आदि से मन को शांत रख सकते हैं.